IPC धारा 422 परिभाषा
भारतीय दंड संहिता में आईपीसी धारा 422 एक अहम धारा है जो भेदभावपूर्ण धमकी के अपराध को विधिवत दंडित करती है। इस धारा के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को भेदभावपूर्ण भाषा या कार्यों के माध्यम से धमकाता है, तो वह अपराधी माना जाता है।
IPC 422 आईपीसी धारा 422 के अनुसार दण्ड
IPC Section 422:- आईपीसी धारा 422 के तहत, भेदभावपूर्ण धमकी के अपराध में दोषी पाए जाने पर अपराधी को दंडित किया जाता है। इसके अनुसार, अपराधी को कारावास की सजा होती है जो एक वर्ष तक हो सकती है, या फिर जुर्माना, या दोनों।
IPC धारा 422 प्रभाव
IPC Section 422:- आईपीसी धारा 422 का प्रभाव यह है कि यह भेदभावपूर्ण धमकी को रोकता है और इसे दंडित करता है। इससे लोगों को संदेश मिलता है कि भेदभाव और धमकी की नीतियों की कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
आईपीसी धारा 422 का उदाहरण
एक उदाहरण के रूप में, एक व्यक्ति ने दिन-दहाड़े बाजार में किसी अन्य व्यक्ति को उसकी धर्म, जाति या जेंडर के कारण धमकाया। यद्यपि वह धमकी केवल शब्दों में ही थी, लेकिन यह धमकी आईपीसी धारा 422 के तहत अपराध मानी जाती है।
422 आईपीसी बेलयाबल या नहीं?
422 IPC Bailable or Not:- आईपीसी धारा 422 एक गैर-जमानती धारा है, अर्थात इस अपराध में दोषी पाए जाने पर अपराधी को गिरफ्तार किया जाता है और उसे अदालत में पेश किया जाता है।
इस प्रकार, आईपीसी धारा 422 एक महत्वपूर्ण कानूनी धारा है जो भेदभावपूर्ण धमकी को रोकने और दंडित करने का प्रावधान करती है। इसका उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को सजा होती है, जिससे लोगों को धर्म, जाति, या जेंडर के आधार पर धमकाने की जरूरत है।
धोखे से अपने लेनदारों के लिए एक ऋण या अपराधी के कारण मांग के लिए उपलब्ध कराया जा रहा से रोकने |
2 साल या जुर्माना या दोनों |
गैर – संज्ञेय |
जमानतीय |
कोई भी मजिस्ट्रेट |