466 IPC in Hindi धारा 466 क्या है (IPC 466 in Hindi)

Indian Kanoon 466 IPC in Hindi:- धारा 466 क्या है ? (IPC 466 in Hindi). 466 IPC in Hindi IPC Section 466 in Hindi What is IPC Section 466 Punishment? Know 466 IPC Bailable or Not. IPC Section for  Criminal Intimidation.

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 466 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो जालसाजी से संबंधित अपराधों को परिभाषित और दंडित करता है। इस लेख में हम आईपीसी धारा 466 की विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे, जिसमें इसकी परिभाषा, दंड, प्रभाव, उदाहरण और यह जमानती है या नहीं, सब शामिल हैं।

IPC Section 466 in Hindi परिभाषा

IPC Section 466:- आईपीसी धारा 466 के अनुसार, जब कोई व्यक्ति किसी दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को जालसाजी करता है, तब वह इस धारा के तहत अपराधी माना जाता है। इस धारा में जालसाजी का मतलब किसी दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को इस प्रकार बदलना, बनाना या नष्ट करना होता है जिससे किसी व्यक्ति या संस्था को हानि पहुँचाई जा सके।

उदाहरण के तौर पर:

  • कोई व्यक्ति किसी सरकारी दस्तावेज़ को इस प्रकार बदलता है जिससे वह दस्तावेज़ झूठा साबित हो।
  • किसी की पहचान चोरी करके उसके नाम पर फर्जी दस्तावेज़ तैयार करना।

IPC 466 in Hindi आईपीसी धारा 466 के अनुसार दण्ड

आईपीसी धारा 466 के तहत जो व्यक्ति दोषी पाया जाता है, उसे कठोर दंड दिया जाता है। इस धारा के अनुसार दंड निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. कारावास: दोषी व्यक्ति को 7 साल तक की कारावास की सजा हो सकती है।
  2. जुर्माना: कारावास के साथ या उसके बिना जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

IPC Section 466 Punishment आईपीसी धारा 466 के अनुसार दण्ड की सजा

IPC Section 466:- आईपीसी धारा 466 के तहत सजा की अवधि और जुर्माना दोनों का निर्धारण न्यायालय द्वारा किया जाता है, जो अपराध की गंभीरता और परिस्थितियों के अनुसार हो सकता है। इस धारा के तहत दोषी पाए गए व्यक्ति को निम्नलिखित दंड दिए जा सकते हैं:

  • सात वर्ष तक का कारावास: यह सजा अपराध की गंभीरता को देखते हुए दी जाती है।
  • जुर्माना: न्यायालय दोषी पर जुर्माना भी लगा सकता है, जो अपराध की प्रकृति और उसकी आर्थिक स्थिति के आधार पर तय होता है।

Effect of 466 IPC in Hindi आईपीसी धारा 466 का प्रभाव

466 IPC Bailable or Not:- आईपीसी धारा 466 के लागू होने से समाज में एक मजबूत संदेश जाता है कि जालसाजी जैसे गंभीर अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह धारा निम्नलिखित प्रभाव डालती है:

  1. सामाजिक सुरक्षा: यह धारा दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की सत्यता और विश्वसनीयता को बनाए रखने में मदद करती है।
  2. कानूनी सुरक्षा: जालसाजी के मामलों में पीड़ितों को न्याय दिलाने में सहायक होती है।
  3. नैतिकता का संरक्षण: यह धारा समाज में नैतिकता और ईमानदारी को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

Example of 466 IPC in Hindi आईपीसी धारा 466 का उदाहरण

माना एक सरकारी अधिकारी ने अपनी स्थिति का दुरुपयोग करते हुए एक सरकारी दस्तावेज़ में हेरफेर किया और उसे बदल दिया ताकि उसके मित्र को लाभ मिल सके। इस प्रकार का कृत्य आईपीसी धारा 466 के अंतर्गत आता है और इस अपराध के लिए उसे दंडित किया जा सकता है।

466 IPC Bailable or Not in Hindi

466 IPC Bailable or Not:- आईपीसी धारा 466 के तहत अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होते हैं। इसका मतलब है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है और अभियुक्त को न्यायालय से जमानत लेनी होगी। इस प्रकार के अपराधों में न्यायालय ही यह तय करता है कि आरोपी को जमानत दी जाए या नहीं।

अपराध सजा संज्ञेय जमानत विचारणीय
एक लोक सेवक द्वारा रखे गए न्याय न्यायालय या जन्म पंजीयक आदि के रिकॉर्ड का जालसाजी 7 साल + जुर्माना गैर – संज्ञेय गैर जमानतीय प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट

निष्कर्ष

आईपीसी धारा 466 एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है जो जालसाजी जैसे गंभीर अपराधों को नियंत्रित करता है। यह धारा समाज में नैतिकता और कानून व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके तहत दोषी पाए गए व्यक्तियों को कठोर दंड दिया जाता है जिससे समाज में इस प्रकार के अपराधों को रोका जा सके। जालसाजी के मामलों में यह धारा एक प्रभावी साधन साबित होती है और पीड़ितों को न्याय दिलाने में मददगार होती है।

तो दोस्तो आज के लेख मे हमने IPC section 466 से जुडी सारी जानकारीयो को Hindi Langauge मेंआपके सामने रखने का प्रयास किया है कि Dhara 466 क्या है (what is IPC 466 in Hindi) Indian Kanoon 466 IPC अपराध की सजा क्या है और इस मुकदमे मे जमानत कैसे मिलती है।

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