Indian Kanoon 489घ IPC in Hindi:- धारा 489घ क्या है ? (IPC 489घ in Hindi). 489घ IPC in Hindi IPC Section 489घ in Hindi What is IPC Section 489घ Punishment? Know 489घ IPC Bailable or Not. IPC Section for Criminal Intimidation.
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 489घ में नकली सिक्के या मुद्रा बनाने, भंडारण, वितरण, निर्माण, आपूर्ति, तैयारी, अनुप्रयोग, अधिग्रहण या प्राप्ति के लिए संलग्न अपराधों को नियंत्रित करने के लिए प्रावधान किया गया है। इस धारा के तहत, नकली सिक्के या मुद्रा के व्यापार में शामिल होने वाले व्यक्ति को अपराधी माना जाता है। यह धारा नकली मुद्रा और सिक्के के व्यापार को रोकने के उद्देश्य से बनाई गई है। इस लेख में हम आईपीसी धारा 489घ के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसमें इसकी परिभाषा, दण्ड, प्रभाव, उदाहरण और जमानत की स्थिति शामिल हैं।
IPC Section 489घ in Hindi परिभाषा
IPC Section 489घ:- आईपीसी धारा 489घ में नकली सिक्के या मुद्रा बनाने, भंडारण, वितरण, निर्माण, आपूर्ति, तैयारी, अनुप्रयोग, अधिग्रहण या प्राप्ति के लिए संलग्न अपराधों को परिभाषित किया गया है। इस धारा के अंतर्गत, नकली सिक्के या मुद्रा के व्यापार में शामिल होने वाले व्यक्ति को अपराधी माना जाता है। यह धारा नकली मुद्रा और सिक्के के व्यापार को रोकने के उद्देश्य से बनाई गई है, ताकि इस प्रकार के अपराधों को रोका जा सके और नकली मुद्रा की बढ़ती संख्या को कम किया जा सके।
IPC 489घ in Hindi: आईपीसी धारा 489घ के अनुसार दण्ड
IPC Section 489घ:- आईपीसी धारा 489घ के तहत, नकली सिक्के या मुद्रा बनाने, भंडारण, वितरण, निर्माण, आपूर्ति, तैयारी, अनुप्रयोग, अधिग्रहण या प्राप्ति के लिए संलग्न अपराधों के लिए कठोर दण्ड का प्रावधान है। इस धारा के अंतर्गत अपराध करने पर आरोपी को सख्त सजा दी जाती है, ताकि नकली सिक्के या मुद्रा के व्यापार को रोका जा सके।
IPC Section 489घ Punishment: आईपीसी धारा 489घ के अनुसार दण्ड की सजा
आईपीसी धारा 489घ के तहत, नकली सिक्के या मुद्रा बनाने, भंडारण, वितरण, निर्माण, आपूर्ति, तैयारी, अनुप्रयोग, अधिग्रहण या प्राप्ति के लिए संलग्न अपराधों के लिए आरोपी को कठोर दण्ड का सामना करना पड़ सकता है। आरोपी को जिम्मेदार ठहराया जाता है और उसे सजा हो सकती है, जो आरोपी की दुष्कृति के प्रकार और उसके पिछले अपराधों पर निर्भर करता है।
Effact of 489घ IPC in Hindi: आईपीसी धारा 489घ का प्रभाव
489घ IPC Bailable or Not:- आईपीसी धारा 489घ का प्रभाव देश की आर्थिक व्यवस्था और समाज पर व्यापक रूप से पड़ता है। इस धारा के लागू होने से निम्नलिखित प्रभाव देखे जा सकते हैं:
- आर्थिक सुरक्षा: नकली सिक्के या मुद्रा के व्यापार को रोकने से, यह धारा देश की आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करती है।
- व्यापारिक स्थिरता: यह धारा नकली सिक्के या मुद्रा के व्यापार की स्थिरता को बढ़ावा देती है, जिससे व्यापारिक वातावरण में विश्वास और सुरक्षा बनी रहती है।
- अपराध में कमी: नकली सिक्के या मुद्रा के व्यापार से जुड़े अपराधों में कमी आती है, जिससे समाज में शांति और व्यवस्था बनी रहती है।
- विश्वसनीयता: यह धारा नकली सिक्के या मुद्रा के खिलाफ लड़ाई में लोगों की विश्वसनीयता बढ़ाती है, जो विश्वास को बनाए रखने में मदद करता है।
Example of 489घ IPC in Hindi: आईपीसी धारा 489घ का उदाहरण
मान लीजिए कि एक व्यक्ति को पुलिस ने नकली सिक्के या मुद्रा के व्यापार में शामिल होते हुए पकड़ा है। जांच के दौरान पाया गया कि वह व्यक्ति नकली सिक्के या मुद्रा का व्यापार कर रहा था। इस प्रकार के मामले में, उस व्यक्ति को आईपीसी धारा 489घ के तहत गिरफ्तार किया जाएगा और न्यायालय में दोषी पाए जाने पर उसे कठोर सजा हो सकती है। यह उदाहरण दर्शाता है कि नकली सिक्के या मुद्रा के व्यापार में शामिल होने वाले अपराधों को गंभीरता से लिया जाता है और दोषियों को कठोर सजा दी जाती है।
489घ IPC Bailable or Not in Hindi
489घ IPC Bailable or Not:- आईपीसी धारा 489घ के अंतर्गत अपराध गैर-जमानती है। इसका मतलब है कि आरोपी को पुलिस हिरासत में रहते हुए स्वतः जमानत नहीं दी जा सकती है। आरोपी को जमानत के लिए न्यायालय में आवेदन करना होगा और न्यायालय यह तय करेगा कि जमानत दी जाए या नहीं। इस प्रकार, आरोपी को जमानत की स्थिति न्यायालय द्वारा तय की जाएगी।
धारा 489घ के अंतर्गत अपराध को गंभीरता से लिया जाता है, इसलिए इसमें जमानत की स्थिति निर्भर करेगी कि आरोपी के पास कितने प्रमाण हैं और क्या उसे जमानत देने से समाज या सार्वजनिक सुरक्षा को कोई खतरा है।
इस प्रकार, आईपीसी धारा 489घ नकली सिक्के या मुद्रा के व्यापार में शामिल होने वाले अपराधों को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई है। यह धारा नकली मुद्रा और सिक्के के व्यापार को रोकने के लिए कठोर दण्ड का प्रावधान करती है, जिससे देश की आर्थिक व्यवस्था और समाज में स्थिरता बनी रह सके।
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