भारतीय दंड संहिता (IPC) के विभिन्न धाराएं अलग-अलग अपराधों के लिए सजा और प्रक्रिया निर्धारित करती हैं। आज हम इस लेख में IPC की धारा 132 के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। धारा 132 उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो भारत के कानूनों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह या युद्ध छेड़ने की कोशिश करते हैं। यह एक गंभीर अपराध है और इसके तहत कठोर सजा का प्रावधान है। आइए इस लेख में जानते हैं कि IPC की धारा 132 क्या है, इसकी सजा क्या है, और इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है।
IPC Section 132 in Hindi परिभाषा
IPC Section 132:- भारतीय दंड संहिता की धारा 132 में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति या समूह भारत सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह या युद्ध छेड़ने की कोशिश करता है, तो उसे सख्त सजा दी जाएगी। इसके अंतर्गत यह भी कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति विद्रोह में शामिल सैनिकों या अन्य लोगों को मदद करता है या उन्हें उकसाता है, तो उसे भी उसी सजा का सामना करना पड़ेगा।
इस धारा का उद्देश्य देश की सुरक्षा और शांति बनाए रखना है और ऐसे किसी भी प्रयास को रोकना है, जो राष्ट्र की सुरक्षा को खतरे में डालता है।
IPC 132 in Hindi: क्या कहती है यह धारा?
IPC Section 132:- धारा 132 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी विद्रोह में हिस्सा लेता है या उस विद्रोह के लिए अन्य व्यक्तियों को प्रेरित करता है, तो उसे कड़ी सजा दी जाती है। यह विद्रोह देश के कानून या संविधान के खिलाफ हो सकता है और इसे देशद्रोह की श्रेणी में रखा जाता है।
IPC 132 in Hindi आईपीसी धारा 132 के अनुसार दण्ड
आईपीसी की धारा 132 के तहत, सजा का प्रावधान बेहद सख्त है। इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति या समूह इस अपराध में लिप्त पाया जाता है, तो उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। इसके साथ ही, अपराधी को जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
यह सजा इतनी कठोर इसलिए रखी गई है ताकि देश की सुरक्षा को बनाए रखने और सशस्त्र विद्रोह जैसी गंभीर गतिविधियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जा सकें।
IPC Section 132 Punishment in Hindi
इस धारा के अंतर्गत दो प्रकार की सजा हो सकती है:
- मृत्युदंड (Death penalty)
- आजीवन कारावास (Life Imprisonment)
इसके अतिरिक्त, सजा के साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है। सजा की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह धारा सीधे तौर पर राष्ट्रद्रोह से जुड़ी होती है, जो एक बहुत बड़ा अपराध माना जाता है।
Effact of 132 IPC in Hindi: आईपीसी धारा 132 का प्रभाव
IPC की धारा 132 का समाज और सरकार पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह धारा मुख्य रूप से देश की सुरक्षा और एकता की रक्षा के लिए बनाई गई है। इसके तहत उन व्यक्तियों को सजा दी जाती है जो सशस्त्र विद्रोह या युद्ध छेड़ने की योजना बनाते हैं या उसे अंजाम देने का प्रयास करते हैं।
इस धारा का समाज पर सकारात्मक प्रभाव यह है कि इससे देशद्रोह या विद्रोह जैसी गतिविधियों पर रोक लगाई जा सकती है। जो लोग देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, उन्हें इस धारा के तहत सख्त सजा मिलती है, जिससे अन्य लोग भी ऐसा करने से डरते हैं।
IPC 132 के प्रभाव का उद्देश्य
- देश की सुरक्षा: इस धारा का मुख्य उद्देश्य देश की आंतरिक सुरक्षा बनाए रखना और विद्रोह जैसी गंभीर गतिविधियों को रोकना है।
- राष्ट्र की एकता की रक्षा: IPC की धारा 132 के तहत सख्त सजा का प्रावधान होने के कारण, यह राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने में मदद करती है।
Example of 132 IPC in Hindi: आईपीसी धारा 132 का उदाहरण
132 IPC Bailable or Not:- मान लीजिए कि एक समूह देश की सरकार के खिलाफ विद्रोह छेड़ने की योजना बनाता है। वे लोग सशस्त्र रूप से एकत्रित होते हैं और सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तैयारी करते हैं। यदि इस योजना को अंजाम देने से पहले ही उस समूह के सदस्यों को पकड़ा जाता है, तो उन पर IPC की धारा 132 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।
इस उदाहरण में, वे सभी व्यक्ति जो विद्रोह में शामिल थे या उसे सहयोग कर रहे थे, उन पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास का मुकदमा चलेगा।
दूसरा उदाहरण
एक अन्य उदाहरण यह हो सकता है कि यदि कोई व्यक्ति सशस्त्र विद्रोह में शामिल सैनिकों को हथियार, गोला-बारूद या अन्य सहायता प्रदान करता है, तो उसे भी इस धारा के तहत सजा दी जा सकती है।
132 IPC Bailable or Not in Hindi: धारा 132 में जमानत
132 IPC Bailable or Not:- IPC की धारा 132 एक गंभीर अपराध से संबंधित है, और इस धारा के तहत अपराध गैर-जमानती (Non-Bailable) है। इसका अर्थ है कि आरोपी को इस अपराध में जमानत नहीं दी जा सकती।
यह धारा इतनी गंभीर है कि इसमें गिरफ्तार व्यक्ति को तभी जमानत मिल सकती है, जब उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा विशेष आदेश जारी किया जाए। आमतौर पर, इस धारा के तहत गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति को न्यायिक हिरासत में रखा जाता है और मुकदमे की प्रक्रिया पूरी होने तक उसे जमानत नहीं दी जाती है।
उत्परिवर्तन का उन्मूलन, यदि परिणाम में उत्परिवर्तन प्रतिबद्ध है |
मौत या उम्रकैद या 10 साल की सजा + जुर्माना |
संज्ञेय |
गैर जमानतीय |
सत्र न्यायालय |