भारतीय दंड संहिता में धारा 428 उन अपराधों को संज्ञान में लेती है जहाँ किसी पशु की हत्या, चोरी या किसी प्रकार के हमले के परिणामस्वरूप दूसरे पशु चोरी जाते हैं। यह धारा विशेष रूप से गरीब और दुर्बल वर्ग के पशुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।
आईपीसी धारा 428 परिभाषा:
IPC Section 428:- आईपीसी धारा 428 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी पशु की हत्या करता है या उस पशु को चोरी करता है और इसके परिणामस्वरूप दूसरे पशु चोरी जाते हैं, तो वह अपराधी धारा 428 के तहत दंडनीय होता है।
आईपीसी धारा 428 के अनुसार दण्ड:
IPC Section 428:- धारा 428 के अनुसार, अपराधी को दो साल की कैद या दंड का अनुभव करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, आईपीसी के तहत उसे नकद जुर्माना भी भुगतना पड़ सकता है।
आईपीसी धारा 428 के अनुसार दण्ड की सजा:
IPC Section 428:-आईपीसी धारा 428 के अनुसार, अपराधी को दो साल की कैद या दंड का अनुभव करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, आईपीसी के तहत उसे नकद जुर्माना भी भुगतना पड़ सकता है।
आईपीसी धारा 428 का प्रभाव:
आईपीसी धारा 428 का प्रमुख प्रभाव गरीब और दुर्बल वर्ग के पशुओं की सुरक्षा में दिखाई गई है। इस धारा के तहत जो व्यक्ति अपनी हत्या या चोरी होते हुए पशु के छोड़ने का परिणामस्वरूप दूसरे पशुओं को चोरी करता है, उसे सख्त सजा का सामना करना पड़ता है।
आईपीसी धारा 428 का उदाहरण:
428 IPC Bailable or Not :- एक गरीब किसान ने अपने बैल को ले जाने के दौरान अपने छोटे बांधक में बंद किया। दुर्भाग्यवश, रास्ते में उसका बैल बाहर निकल आया और एक दुसरे व्यक्ति ने उसे चोरी कर लिया। इससे उसके बैल की हत्या हो गई और दूसरे पशुओं को चोरी किया गया। इस मामले में अपराधी आईपीसी धारा 428 के तहत दंडनीय होगा।
आईपीसी धारा 428 जमानती या नहीं:
428 IPC Bailable or Not :- आमतौर पर, धारा 428 गैर-जमानती अपराधों में आता है। यानी अपराधी को जमानत नहीं मिलती है और वह गिरफ्तार होता है। यह उपायों को अपराधी की बढ़ती हुई आवाज को सुनते हुए लागू किया गया है, जिनके द्वारा उन्हें व्यक्तिगत हिंसा और पशुओं पर अत्याचार करने से रोका जा सकता है।
धारा 428 वास्तव में गरीबी और दया के प्रति समाज की जिम्मेदारी को प्रकट करती है। इसे उपयोग करके समाज में पशुओं के साथ न्याय का पालन किया जा सकता है और उनकी सुरक्षा की गारंटी दी जा सकती है।