आईपीसी धारा 401: परिभाषा
भारतीय दंड संहिता की धारा 401 एक ऐसी धारा है जो अपराधियों के विरुद्ध दोषी करार देने और उन्हें दंडित करने के लिए बनाई गई है। इस धारा के तहत व्यक्ति को किसी भी अपराध में सहायता या सहयोग प्रदान करने पर दंडित किया जाता है।
आईपीसी धारा 401 के अनुसार दण्ड
आईपीसी धारा 401 के तहत, यदि कोई व्यक्ति किसी अपराधी को उसके अपराध में सहायता या सहयोग प्रदान करता है, तो उसे दंडित किया जाता है। इसके अंतर्गत, सहायता करने वाले व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है और उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है।
आईपीसी धारा 401 की सजा
आईपीसी धारा 401 के तहत, सहायता करने वाले व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है और उसे दंडित किया जाता है। सजा का प्रावधान अदालत द्वारा निर्धारित किया जाता है और यह आपराधिक प्राविधिकता और समाज के लिए एक संदेश होता है।
आईपीसी धारा 401 का प्रभाव
आईपीसी धारा 401 का प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण है। इसके द्वारा, समाज में नैतिकता और न्याय की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। यह उन व्यक्तियों के खिलाफ होने वाली गलत क्रियाओं को रोकने में मदद करता है जो अपराधिक तत्वों के साथ मिलकर अपराध करते हैं।
आईपीसी धारा 401 का उदाहरण
यदि कोई व्यक्ति किसी अपराधी को उसके अपराध में सहायता करता है, जैसे कि उसके लिए गोपनीय जानकारी देता है या उसे छुपाने में सहायता करता है, तो उसे आईपीसी धारा 401 के तहत दंडित किया जाता है।
401 आईपीसी धारा: जमानत या अजमानत? (401 IPC Bailable or Not)
401 IPC Bailable or Not:- आईपीसी धारा 401 के तहत कानून की मान्यता और समाज में नैतिकता को मदद करने के लिए कठोर दंड प्रदान किया गया है, इसलिए यह अजमानतीय अपराधों में आता है। किसी भी स्थिति में आरोपी को जमानत नहीं मिलती है।
इस तरह से, आईपीसी धारा 401 एक महत्वपूर्ण कानूनी धारा है जो अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का प्रावधान करती है। यह समाज को अपराध से बचाने और न्याय को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आदतन चोरी करने के उद्देश्य से जुड़े व्यक्तियों के एक भटक गिरोह से संबंधित |
7 साल के लिए कठोर कारावास + जुर्माना |
संज्ञेय |
गैर जमानतीय |
प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |